केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रोटोकॉल तोड़ 30 जवानों को बचाने वाले बीएसएफ जवान को लगाया गले
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अलंकरण समारोह में वीरता मेडल से सम्मानित किए गए बीएसएफ के उस जवान को प्रोटोकॉल तोड़ते हुए गले से लगा लिया, जो कश्मीर में आतंकरोधी अभियान के दौरान अदम्य साहस का परिचय देते हुए 85 फीसदी से अधिक शारीरिक अक्षमता का शिकार हो गए थे।
सिंह ने जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में साल 2014 में आतंकवादी हमले के दौरान कई गोलियां लगने से घायल हुए बीएसएफ के जवान गोधराज मीणा को वीरता मेडल से सम्मानित करने के बाद गले से लगा लिया।
अलंकरण समारोह में मीणा की बहादुरी का किस्सा बताते हुए उन्होंने कहा कि 5 अगस्त 2014 को उधमपुर स्थित नरसू नाला के पास बीएसएफ के जवानों को ले जा रही बस पर आतंकी हमला कर दिया गया।
बस की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभा रहे 44 वर्षीय मीणा ने अदम्य साहस और सूझबूझ दिखाते हुए गोलीबारी के बीच दो आतंकवादियों को अपनी बंदूक से सटीक निशाना बनाते हुए उन्हें बस में घुसने से रोक दिया और बस में सवार 30 जवानों की जान बचा ली। हालांकि इस दौरान उनके जबड़े सहित शरीर के अन्य हिस्सों में लगी गोली के कारण मीणा न सिर्फ 85 प्रतिशत शारीरिक अक्षमता के शिकार हो गए, बल्कि अब वह बोल सकने में भी समर्थ नहीं हैं।
सिंह ने जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में साल 2014 में आतंकवादी हमले के दौरान कई गोलियां लगने से घायल हुए बीएसएफ के जवान गोधराज मीणा को वीरता मेडल से सम्मानित करने के बाद गले से लगा लिया।
अलंकरण समारोह में मीणा की बहादुरी का किस्सा बताते हुए उन्होंने कहा कि 5 अगस्त 2014 को उधमपुर स्थित नरसू नाला के पास बीएसएफ के जवानों को ले जा रही बस पर आतंकी हमला कर दिया गया।
बस की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभा रहे 44 वर्षीय मीणा ने अदम्य साहस और सूझबूझ दिखाते हुए गोलीबारी के बीच दो आतंकवादियों को अपनी बंदूक से सटीक निशाना बनाते हुए उन्हें बस में घुसने से रोक दिया और बस में सवार 30 जवानों की जान बचा ली। हालांकि इस दौरान उनके जबड़े सहित शरीर के अन्य हिस्सों में लगी गोली के कारण मीणा न सिर्फ 85 प्रतिशत शारीरिक अक्षमता के शिकार हो गए, बल्कि अब वह बोल सकने में भी समर्थ नहीं हैं।
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